जे.एन.यू. प्रेसिडेंसियल डिबेट: किस छात्र संगठन ने उठाए कौन से मुद्दे?

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14 सितंबर को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का चुनाव होने वाला है। इस छात्र संघ चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय है। इस मुकाबले में बापसा, ए बी वि पी और वाम गठबंधन (AISA,AISF,DSF,SFI) ने अपने-अपने मुद्दों को दिनांक 12 सितम्बर को हुई प्रेसिडेंटियल डिबेट में छात्रों के सामने रखकर छात्रसंघ चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं। आइए देखते हैं कि किस छात्र संगठन ने कौन-कौन से मुद्दे उठाये हैं।

बापसा प्रेसिडेंट कैंडिडेट थालापल्ली प्रवीण ने कहा कि हम दलित पीड़ित शोषित वर्गों के छात्रों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं। विश्वविद्यालय में उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए और कम सीटों के मुद्दे को भी अपने घोषणापत्र में रखा।

इस चुनाव में AISA -AISF-DSF-SFI गठबंधन कर चुनावी मैदान में हैं। वाम गठबंधन के प्रेजिडेंट कैंडिडेट एन साई बालाजी ने कहा कि इस देश में भीड़ के द्वारा लोगो को मारा जा रहा है । यह देश लिंचिस्तान बनता जा रहा हैं। एन साई बालाजी ने कहा कि यदि हमारा छात्र संगठन चुनकर आता है तो सेक्सुअल हराशमेंट को खत्म करने के लिए ‘जेंडर सेंसिटाइजेसन कमिटी’ को दोबारा से नियुक्त करने, फण्ड कट, सीट कट, अभियांत्रिकी के छात्रों की अत्याधिक फीस को वापिस करवाने का प्रयास करेंगे।

इस त्रिकोणीय मुकाबले में तीसरा संगठन ABVP मैदान में हैं। ABVP के प्रेजिडेंट उम्मीदवार ने देश और विश्वविद्यालय के मुद्दों को छात्रों के सामने रखा और 49 वर्षों से जिस तरह वामपंथ ने JNU की धरती पर कब्जा किया हुआ हैं, उनकी नाकामियों को भी बताया। ललित पांडेय ने कहा कि आज इस डिबेट में एक ऐसा उम्मीदवार भी है जिसने 9 फरवरी 2016 को कैंपस में देशविरोधी नारे लगाये थे। ये गठबंधन नंदीग्राम की चीखों को भी दबाने की कोशिश करता है। ललित पांडेय ने कहा कि छात्रों के लिए ई-रिक्शा की सुविधा, 24×7 घंटे हॉस्पिटल की सुविधा, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन की सुविधा, फ़ेलोशिप को बढ़ाने, भोजनालय और भोजन की गुणवत्ता को बढ़ाना हमारे अहम् मुद्दे हैं।

यह डिबेट इतना महत्वपूर्ण है कि यह डिबेट बहुत हद तक ये तय करता है कि छात्र संघ चुनाव में कौन-सा छात्र संघठन परचम लहरायेगा। डिबेट में सभी छात्र संगठनों के प्रत्याशियों, विशेष रूप से अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों में पूरे दम-खम के साथ अपने मुद्दों को उठाया। अब 14 देखना यह होगा कि सितम्बर को किस प्रत्याशी के पक्ष में कितने वोट पड़ते हैं।

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