जयंती विशेष : केशव बलिराम हेडगेवार

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जब देश में अंग्रेजी हुकूमत राज करती थी तो देश के वीर क्रांतिकारी अंग्रेजों से लोहा लेकर उन्हें देश से निकलने का प्रयास कर रहे थे तो कई बाल क्रांतिकारी भी स्वतंत्र भारत का स्वप्न देख रहे थे। इन्हीं बाल क्रांतिकारीयो में शामिल है केशव यानि केशव बलिराम हेडगेवार, जिनकी आज (1 अप्रैल) जयंती मनाई जा रही है।

जब बाल केशव ने अंगेजो के सामने बोला वन्दे मातरम्

नागपुर के सीताबर्डी किले पर ब्रिटिश शासन का प्रतीक ‘यूनियन जैक’ फहराता था।जिसे देख कर बालक केशव और उनके दोस्तों का आत्मसम्मान आहत होता था। उन्होंने फैसला किया कि सख्त पहरे में रहने वाले किले तक सुरंग बनाई जाए और उस रास्ते से जाकर किले से ब्रिटिश झंडा हटा दिया जाए। केशव और उनके दोस्त एक वेदशाला में पढ़ते थे। योजना के अनुरूप पढ़ाई के कमरे में बच्चों ने कुदाल-फावड़े से सुरंग खोदने का काम शुरू कर दिया। कमरे को अक्सर बंद देखकर उनके शिक्षक नानाजी वझे को शंका हुई। जब वह कमरे में गए तो वहां एक तरफ गड्ढा खुदा हुआ था और दूसरी तरफ मिट्टी का ढेर लगा था। उन्होंने बच्चों को इस योजना को अंजाम देने से रोक दिया।

जब उनके स्कूल में अंग्रेज इंस्पैक्टर निरीक्षण के लिए आए तो उन्होंने कुछ सहपाठियों के साथ ‘वन्दे मातरम्’ के जयघोष से उसका स्वागत किया। इस पर केशव को स्कूल से निकाल दिया गया। तब इन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढ़ाई पूना के नैशनल स्कूल में पूरी की।

डॉ हेडगेवार ने 28 सितम्बर, 1925 को विजयदशमी के दिन उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत की और उसे देश के प्रमुख संगठन का रूप दिया। अंतत: 21 जून, 1940 को इनकी आत्मा अनंत में विलीन हो गई।

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