ललना की विदाई ।

Blog

रुप सुन्दरता से भरता है
ये बात तुम्हारी करता हैं
यें हाथ तुम्हारे मेहंदी के है
कंगन हाथ जो बजते हैं //1//

उन आँखो में जो कजरा हैं
इस सीमन्त पर सिन्दूर लगा
पकड़ पिया का आंगन
अब बाबुल को अकेला छोड़ दिया //2//

उस घर की यादों
पर परदा अब डाल दिया
नई यादो को अब जोड लिया
पियां का आंगन खुशियों से अब भर दिया//3//

भईया की नम आँखो ने बहना को गले लगा लिया
अब आँख में आँसू भईयाँ है
भईया जो खुद को वीर जो कहता कभी ना आंसू आँख में पाता
अब भईया की आँख में भी अब आंसू है//4//

ललना अब विदा जो ले रही हैं
माता को नम आँखों से गले जो लगा रही है.
कहती माता से है ललना करना ना पराया मुझको कभी
मैं हूँ तेरी ही लाली
छोड़ रही हूँ अंगना तेरा
छोड़े माता मुझको मंजूर नही//5//


बाबुल जब गले लगा रहा आखो से आसू बहा रहा है
लाली से कहता है बाबुल तू रहना खुशऔर खुश रखना
कभी इन आखों में आँसू लाना नहीं//6//

मिलती बहना जब बहना से है गले मिलकर दहाड़ लगाती है
नम आखो से बहना बहना से कह रहीं है
छोड़ रही मुझको अकेला बचपन से तेरे साथ रही
‘ कैसे रहूँगी अब मैं तेरे बिना तू तो मुझको छोड़ चली
//7//


ललना अब बाबुल अंगना छोड़ रही सबको बहुत रुला रहीं है आँखो मे पानी भरकर सबके है आँसू बहा रहीं है!
ललना अब पिया के जा रहीं है।//8//

– दयावीर राजपूत द्वारा लिखित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.