“कूड़ा बीनने वाले से मेयर बनने तक के अंत्योदय की बेमिसाल कहानी”

Academics Reader's Poll Socio Political Discourse

मेयर तो बहुत है, लेकिन यह मेयर खास है, इस मेयर कि कहानी समाज को एक प्रेरणा प्रदान करती है। इनका नाम है – राजेश कालिया, जो अभी-अभी चंडीगढ़ के मेयर बने हैंl 

राजेश कालिया बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। इतने गरीब कि अपना जीवन चलाने के लिए बचपन में कचरा और कूडा बिनते थेl स्कूल जाते थे, छुट्टी के बाद अपने 2 भाई और 4 बहनो के साथ कूड़ा बिनते थे, उसे बेचते उसके बाद, जो पैसे मिलते उससे घर चलता था 1

लेकिन खास बात यह है कि इस भयानक गरीबी के बाद भी, समाज के लिए कुछ करने कि प्रेरणा उनके मन में हमेशा रहती थी l इसी प्रेरणा ने उन्हे 1984 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जोड़ा, जिससे  उनके जीवन में व्यापक परिवर्तन आया। 1996 मे कालिया ने भाजपा को अपने वार्ड कि सीट जीतने में मदद की, और आज कड़ी मेहनत के बाद वह चंडीगढ़ के मेयर हैंl

उनके पिता, परिवार, बेटी पर उन्हे गर्व है – परिवार के पोषण हेतु उन्होंने आटो-रिक्शा भी चलाया। सतग हीं, अपनी बेटी को खूब पढ़ाया भी – उनकी बेटी BBA सेकंड ईयर में पढ़ती हैl

राजेश जी का जीवन उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो कहते है गरीब को “राष्ट्रवाद” के पहले रोटी चाहिएl रोटी के लिए मेहनत और राष्ट्र कि सेवा दोनो साथ-साथ हो सकती है, यह राजेश कालिया ने साबित कर दिया है l

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के “एकात्म मानवदर्शन ” एवं “अंत्योदय” का लक्ष्य लेकर कार्य करने वाले राजेश समाज की पंक्ति मे खड़े आखिरी व्यक्ति ही थेl उनके कड़ी मेहनत, व्यक्तिगत गुण, और संगठनात्मक कौशल ने उन्हे मेयर बना दिया। यह पंक्ति के आखिरी व्यक्ति का उदय किया है, यही अंत्योदय का कालजयी उदाहरण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.