JNU: कभी जहां लगते थे भारत विरोधी नारे, वहाँ हो रही है राष्ट्रवाद की बातें

Campus News

शिवांश सक्सेना

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की युवा (यूथ यूनाइटेड फॉर विज़न एंड एक्शन) यूनिट ने प्रसिद्ध विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के साथ एक चर्चा सत्र का आयोजन किया। युवा जे.एन.यू यूनिट ने प्रमुख सूजल जी ने पुष्पेंद्र जी का परिचय दिया और समिति से साक्षी जी ने अंगवस्त्र और तुलसी का पौधा देकर उनका स्वागत किया और कार्यक्रम का आगाज़ हुआ । पुष्पेंद्र जी ने सबसे प्रथम महत्वपूर्ण दिन जैसे 19 और 26 फरवरी को याद करते हुए अपनी बात की शुरुआत की और सभी को इन दिनों की जानकारी दी जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती और वीर सावरकर को याद करने की सलाह दी ।

उन्होंने छोटी छोटी बातों की महत्वता बताते हुए कहा की कैसे ये आगे बहुत बढ़ी छाप छोड़ जाती है जैसे 15 अगस्त 1947 की आज़ादी की बात को बताया की उस दौरान कैसे मात्र ट्रांसफर ऑफ पॉवर किया गया था, ना की आज़ादी। उन्होंने संविधान के बेहद ही आवश्यक आर्टिकल 333 के बारे में बताया जिसमें उन्होंने जानकारी दी, कैसे अंग्रेज़ी माँ या पिता से हुई संतानों को एंग्लो-इंडियन बना कर लोक सभा में 2 सीट्स रिसर्व कर दी गयी। जिसके परिणाम स्वरूप हर क्षेत्र में एंग्लो इंडियन की 2 सीट अलग से बनाई जाने लगी। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया की सेकुलरिज्म (धर्म निर्पेक्षता) को उसके प्रस्तावना पत्र में जोड़ा जो की यूरोप की थ्योरी से लिया गया है और धर्म निरपेक्षता कह कर बताया जाने लगा।

उन्होंने बताया की हर चीज़ की वैज्ञानिकता समझना ज़रूरी है ताकि सही तथ्य बताये जा सकें । उन्होंने बताया कि पहले संविधान में श्री राम, सीता,लक्ष्मण और कृष्ण की तस्वीर हुआ करती थी पर एक वक़्त के बाद उन्हें हटा दिया गया। अभी के समय की सरकार ने नई संसद बनते ही निमंत्रण पत्र में वो सभी आकृतियों को वापस लाने का काम किया।

आगे बताते हुए उन्होंने वक़्फ़ बोर्ड के संदर्भ के बारे में बताया की कैसे एक बोर्ड मात्र अपने एक सूचना पत्र से किसी भी स्थान को अपना बना सकती है । अंत में उन्होंने युवा जे.एन.यू की तारीफ करते हुए कहा की कभी जिस स्थान पर भारत विरोधी नारे लगते थे वहाँ आज राष्ट्रवाद की बातें हो रही है ये सबके साथ होने से ही संभव हुआ, जिसमें सभी का सहयोग है ।

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