जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनावों की प्रक्रिया जहां तेज़ी पकड़ रही है, वहीं लेफ्ट यूनिटी गठबंधन के भीतर जारी आंतरिक मतभेद अब सतह पर दिखाई देने लगे हैं। गुरुवार को जेएनयूएसयू चुनाव समिति द्वारा प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी करने की प्रक्रिया को अचानक स्थगित कर दिया गया, जिसने छात्रों और कैंपस में हलचल मचा दी।
विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, सूची को स्थगित करने का निर्णय ‘तकनीकी कारणों’ से लिया गया, परंतु अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया है कि देरी का असली कारण वामपंथी दलों के बीच उपजी गहरी असहमति है—विशेष रूप से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों को लेकर।
सूत्रों के अनुसार, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) दोनों ही अध्यक्ष पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। वहीं, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) स्थिति को लेकर अब तक निर्णायक रुख नहीं अपना सके हैं। इस गतिरोध के चलते, उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करने की प्रक्रिया रोक दी गई।
ज्ञात हो कि जेएनयू में वामपंथी संगठनों का ‘लेफ्ट यूनिटी’ गठबंधन पिछले कुछ वर्षों से छात्रसंघ चुनावों में मिलकर चुनाव लड़ता आ रहा है। लेकिन इस बार आंतरिक असहमति, विशेषकर शीर्ष पदों को लेकर, गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रही है।
लेफ्ट यूनिटी के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “AISA और SFI दोनों ही जेएनयूएसयू अध्यक्ष पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस खींचतान ने पूरे चुनावी कार्यक्रम पर असर डाला है।”
छात्रों के बीच यह चर्चा तेज़ है कि यदि वाम दलों के बीच यह रस्साकशी आगे भी जारी रही, तो इससे न केवल उनकी चुनावी रणनीति प्रभावित होगी बल्कि छात्रसंघ चुनावों में उनके प्रभाव को भी गहरी चोट पहुंचेगी।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या लेफ्ट यूनिटी इस असमंजस से उबर कर एक संयुक्त उम्मीदवार उतार पाएगी, या जेएनयूएसयू चुनाव 2025 में वामपंथी गुटों की दरारें निर्णायक साबित होंगी।