अमृत काल में प्रेरणास्त्रोत के रूप में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता – निखिल यादव
सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम से पराधीनता और गुलामी को अस्वीकार करने की जो ज्वाला जागृत हुई, वह लगभग 100 वर्ष बाद ,अनेकों बलिदानियों के कारण 15 अगस्त 1947 को स्वाधीनता के रूप में फलित हुई । 2022 में भारत ने अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण किए है। एक तरफ जहां पिछले 75 […]
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